अँधेरे में सूरज सा लगे दिए का उजाला,
प्यासे को अमृत सी लगे एक बूँद जल की,
विचलित मुख पर फैली हंसी की एक किरण,
मानो सफल तपस्या प्रत्येक पल की|
आशा के अनुरूप अगर व्यतीत हो जीवन,
तो क्यों हम देखे हज़ार सपने उज्वल कल के,
सफलता ही पर्याय बन जाए जीवन की तो,
क्यों करे हम कोई कोशिश जनम सफल की|
निराशा जननी ग्लानी की और ग्लानी जन्मे पाप को,
अपने पराये सब छोड़ चले जब आशा छोडे आपको,
आशा बिना विश्वास अधूरा, बिन विश्वास हर कर्म,
अधूरे कर्म का फल विफलता यही कहानी हर दुर्बल की|
अर्पित गट्टानी
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